टेम्पल सिटी शिवरीनारायण के केशव नारायण मंदिर के आसपास की खुदाई के दौरान भूगर्भ से छठी शताब्दी का एक प्राचीन मंदिर निकला है। खुदाई में कई उत्कीर्ण शिल्प प्राचीन ईंटें भी मिली है। खुदाई पिछले कुछ दिनों से रोक दी गई है। अधूरी खुदाई के कारण अभी भी जमीन में कई उत्कीर्ण शिल्प दबे हुए हैं, जिसका ऊपरी हिस्सा स्पष्ट दिखाईं दे रहा है।
चित्रोत्पल्ला त्रिवेणी संगम के तट पर लाल बलुआ पत्थरों से निर्मित प्राचीन शबरी नारायण मंदिर संपूर्ण भारत में विख्यात है। प्राचीन कला कृति उत्कीर्ण शिल्प से निर्मित होने के कारण शबरी नारायण मंदिर तथा पूरे परिसर को भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किया गया है। यहां के केशव नारायण मंदिर के चारों ओर प्राचीन कला कृति के कई अवशेष पड़े हुए हैं, जिसे संरक्षित करने के लिए दो वर्ष पूर्व पुरातत्व विभाग द्वारा काम प्रारंभ किया गया। शुरूवात में आस-पास बिखरी प्राचीन कालीन मूर्तियों को एकत्रित कर संग्रहित किया गया। इस दौरान केशव नारायण मंदिर का निचला हिस्सा भूगर्भ में धसा हुआ दिखा, जिसकी जानकारी रायपुर के एएसआई मंडल कार्यालय में दी गई, जहां से एक टीम शिवरीनारायण पहुंची। टीम की उपस्थिति में जब खुदाई शुरू कराई गई, तब भूगर्भ के निचले हिस्से में उत्कीर्ण शिल्प के होने का पता चला। साथ ही छठी शताब्दी की प्राचीन ईंटे भी मिली। खुदाई से केशव नारायण मंदिर के निचले हिस्से की उत्कीर्ण शिल्पकला भी दिखाई देने लगी। प्रारंभिक खुदाई के बाद लगभग डेढ़ वर्षों तक काम रोक दिया गया था। कुछ माह पूर्व खुदाई दोबारा शुरू कराई गई, जिससे केशव नारायण मंदिर के नीचले हिस्से में उत्कीर्ण शिल्प स्पष्ट दिखाई देने लगे हैं।
इसके अलावा भूगर्भ की खुदाई से केशव नारायण मंदिर के समीप छठी सातवीं शताब्दी के मध्य निर्मित मंदिर, प्राचीन शिलालेख, प्राचीनकालीन ईंटे कई मूर्तियां बाहर निकली हैं। बरसात शुरू होने के बाद से खुदाई कार्य बंद है, जिसे फिर से प्रारंभ नहीं किया जा रहा है। मंदिर परिसर की गहरी खुदाई से कई प्राचीन कालीन मूर्तियां मंदिर से संबंधित शिलालेख निकलने की संभावना है। कई प्राचीन शिल्प कलाकृतियां अभी भी भूगर्भ में समाई हुई है। वहीं केशव नारायण मंदिर के एक ओर खुदाई से जमीन गहरा होने दूसरी ओर भूगर्भ से निकले प्राचीन ईंट तथा उत्कीर्ण शिल्प को रख दिए जाने से श्रद्वालुओं को परेशानी उठानी पड़ रही हैं। मंदिर के मुख्तियार सुखराम दास ने बताया कि पिछले दिनों पुरातत्व विभाग द्वारा कराई गई खुदाई से एक प्राचीन मंदिर भूगर्भ से निकला है। साथ ही कई मंदिर तथा उत्कीर्ण शिल्प के उपरी हिस्से स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं, जो आठ से दस फीट खुदाई होने पर निकलेंगे। शिवरीनारायण धाम में पुरातात्विक कलाकृतियों का भंडार हैं। भगवान नर नारायण मंदिर के गर्भ गृह के प्रवेश द्वार में उत्कीर्ण शिल्प कला देखने का मिलती है, उस तरह की कलाकृति देश के किसी अन्य मंदिर में नहीं दिखती। इस मंदिर की उचाईं 172 फीट परिधी 136 फीट बताई जाती है। साथ ही मंदिर में 10 फीट ऊंचा स्वर्ण कलश गर्भ गृह में चांदी का दरवाजा है।
नर नारायण मंदिर लाल बलुआ पत्थरों से निर्मित है, जिसमें उकेरी गई मूर्तियां प्राचीन शिल्पकला का अनूठा उदाहरण हैं। पिछले कुछ वर्षो से माघ पूर्णिमा मेला के पूर्व रंग रोगन कराए जाने से इस मंदिर की शिल्प कला पूरी तरह से दब गई है और मंदिर सामान्य मंदिरों की तरह दिखने लगा है। पुरातत्व विभाग द्वारा मंदिर के दीवारों की सफाई कराए जाने से लाल बलुआ पत्थरों से निर्मित इस अद्भुत मंदिर की छटा दिखेगी।