हिंदू धर्म में किए जाने वाले विभिन्न धार्मिक कार्यों में कमल के पुष्प का विशेष महत्व है। इसका प्रमुख कारण है कि कमल के पुष्प को अत्यंत्र पवित्र, पूजनीय एवं सुंदरता, सद्भावना, शांति-समृद्धि व बुराइयों से मुक्ति का प्रतीक माना गया है। यह ऐश्वर्य तथा सुख का सूचक भी है इसीलिए कमल को पुष्पराज की संज्ञा भी दी गई है।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु की नाभि से कमल पुष्प का उत्पन्न होना तथा उस पर विराजमान ब्रह्माजी द्वारा सृष्टि की रचना करना कमल पुष्प की महत्ता को स्वयं सिद्ध करता है। कमल पुष्प को ब्रह्मा, लक्ष्मी तथा सरस्वती ने आसन बनाया है। अनेक प्रकार के यज्ञों व अनुष्ठानों में कमल के पुष्पों को निश्चित संख्या में चढ़ाने का विधान शास्त्रों में भी वर्णित है। कमल का पुष्प कीचड़ और जल में उत्पन्न होता है, लेकिन उससे निर्लिप्त रहकर पवित्र जीवन जीने की प्रेरणा देता है।
यह इस बात की प्रतीक है कि बुराइयों के बीच रहकर भी व्यक्ति अपनी मौलिकता तथा श्रेष्ठता बचाए रख सकता है। बौद्ध धर्म के ललित विस्तार ग्रंथ में कमल को अष्टमंगल माना गया है। यही वजह है कि पूजन आदि में कमल पुष्प का विशेष महत्व है।