दस महीने का मेरा बेटा ‘‘कान्हा’’ अब ठुमक-ठुमक कर चलने लगा है। उसे चलता देखकर मैं काफी खुश होता हूं। साथ ही मेरी आंखों से आंसू भी बहते है, क्योकि मेरी तरह ही मेरे पिता भी सोचते है। वे आज मुझे अपने पैरों पर खड़ा देखकर खुश हैं, और इसी खुशी की वजह से उनकी आंखे भी कभी-कभी नम हो जाती है। अपने प्यारे पापा को समर्पित ये कविता

छोड़ते हो धीरे से, चलते हुएहाथ
और मुझे देते हो, जीवन कीसौगात।
लड़खड़ाऊ जब कभी मैं, तबथामते हो आप
पापा सबसे प्यारे हो आप....

अपने शब्दों से आप, मुझे देते हैउत्साह
डटकर जीवन जीने की, देते हैं सलाह।
हारकर बिखर जाता हूं, तब समेटते हो आप
पापा सबसे प्यारे हो आप....


वृक्ष रूप से मुझ पर छाया, धरते हो आप
आसमान के सितारों से भी ज्यादा प्रेम करते हो आप।
सफलता पाऊं मैं तब, झूमते हो आप
मेरे प्यारे पापा, दुनिया में सबसे प्यारे हो आप .....