दस महीने का मेरा बेटा ‘‘कान्हा’’ अब ठुमक-ठुमक कर चलने लगा है। उसे चलता देखकर मैं काफी खुश होता हूं। साथ ही मेरी आंखों से आंसू भी बहते है, क्योकि मेरी तरह ही मेरे पिता भी सोचते है। वे आज मुझे अपने पैरों पर खड़ा देखकर खुश हैं, और इसी खुशी की वजह से उनकी आंखे भी कभी-कभी नम हो जाती है। अपने प्यारे पापा को समर्पित ये कविता
छोड़ते हो धीरे से, चलते हुएहाथ
और मुझे देते हो, जीवन कीसौगात।
लड़खड़ाऊ जब कभी मैं, तबथामते हो आप
ओ पापा सबसे प्यारे हो आप....
लड़खड़ाऊ जब कभी मैं, तबथामते हो आप
ओ पापा सबसे प्यारे हो आप....
अपने शब्दों से आप, मुझे देते हैउत्साह
डटकर जीवन जीने की, देते हैं सलाह।
हारकर बिखर जाता हूं, तब समेटते हो आप
ओ पापा सबसे प्यारे हो आप....
वृक्ष रूप से मुझ पर छाया, धरते हो आप
आसमान के सितारों से भी ज्यादा प्रेम करते हो आप।
सफलता पाऊं मैं तब, झूमते हो आप
ओ मेरे प्यारे पापा, दुनिया में सबसे प्यारे हो आप .....
ओ पापा सबसे प्यारे हो आप....
वृक्ष रूप से मुझ पर छाया, धरते हो आप
आसमान के सितारों से भी ज्यादा प्रेम करते हो आप।
सफलता पाऊं मैं तब, झूमते हो आप
ओ मेरे प्यारे पापा, दुनिया में सबसे प्यारे हो आप .....
20 टिप्पणियाँ:
कुछ समय बाद तो यह दौड़ने भी लगेगा , तब आपकी ख़ुशी भी दौड़ रही होगी ...आपको बधाई
सुंदर कविता ....सुदर चित्र ....
आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनायें
प्रिय कान्हा को शरद बुआ का ढेर सारा स्नेह-आशीष...
आदरणीय केवल राम जी, आपको सादर धन्यवाद।
आदरणीया, डॉ. मोनिका शर्मा जी, आपको सादर आभार। आशा एवं विश्वास के साथ निवेदन है कि आप हमेशा इसी तरह मुझे मार्गदर्शन व सुझाव प्रदान करती रहेंगी।
सम्माननीया डॉ (सुश्री) शरद दीदी,
आपने अपने भतीजे कान्हा को जो आशीर्वाद और स्नेह प्रदान किया है, मैंने उस तक पहुंचा दिया है। आशा करता हूं कि बड़ी बहन के नाते आप अपने छोटे भाई यानी राजेन्द्र राठौर को हमेशा स्नेह व आशीर्वाद के साथ सुझाव देती रहेंगी।
भाई राजेन्द्र राठौर जी,
मेरे ब्लॉग का अनुसरण करने के लिए आपका शुक्रिया...
किन्तु आपके ब्लॉग के लिंक एड्रेस में त्रुटि है. कृपया उसे जांच लें.
तथा...
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Sundar kvita or pyaare papa !
Dhanyvaad jo aap mere ghar pdhare --
दर्शन कौर दीदी, आपको भी सादर धन्यवाद, जो आपने अपना स्नेह मुझे प्रदान किया। आपसे अपेक्षा रखता हूं कि आप सदैव मुझे मार्गदर्शन प्रदान करती रहेंगी।
बेटा चलने लगा, बधाई राठौर भाई । कान्हा की पहली होली कैसी रही । हमारे घर भी पोता हुआ है णेरे छोटे बेटे के घर । अभी सिर्फ 9 दिन का है । कविता से एक बेटे का पिता के पर्ति विश्वास झलकता है ।
आदरणीया, आशा दीदी,
आपको सादर अभिवादन। मेरे बेटे कान्हा ने इस बार अपने दादा के होली का खूब मजा लिया है। अब वह लड़खड़ा कर चलने लगा है। साथ ही उसके चार दांत निकल आए हैं, जिससे सभी को काटता है। पोता पैदा होने पर आपको भी बधाई।
बेहद सुन्दर पंक्तियाँ! इस लाजवाब और भावपूर्ण रचना के लिए बधाई!
सम्माननीया बबली जी, आपको सादर धन्यवाद।
छोड़ते हो धीरे से, चलते हुए हाथ
और मुझे देते हो, जीवन की सौगात।
लड़खड़ाऊ जब कभी मैं, तब थामते हो आप
ओ पापा सबसे प्यारे हो आप....
इस प्यारे पापा को ढेरों बधाई इस प्यारी बिटिया की .....
वृक्ष रूप से मुझ पर छाया, धरते हो आप
आसमान के सितारों से भी ज्यादा प्रेम करते हो आप।
सफलता पाऊं मैं तब, झूमते हो आप
ओ मेरे प्यारे पापा, दुनिया में सबसे प्यारे हो आप .....
भावनाओं का बहुत सुंदर चित्रण . ...
प्यारे कान्हा को स्नेह.
हरकीरत 'हीर' जी, आपका शुक्रिया...
Dr Varsha Singh ji, aapka Aabhar, jo aapne mera utsahvardhan kiya.
bahut sunder likha apne.........
wah.kitna kuch kah gaye...behad sundar.
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